एक दिन का विधायक बनो, और पूरी उम्र 84240 रुपए पेंशन पाऊ

 



क्या यह व्यवस्था वाकई ठीक है? बड़ा खुलासा सामने आया**


भारत में आम आदमी पूरी जिंदगी नौकरी करता है, पेंशन के इंतज़ार में उम्र बीत जाती है, मगर दूसरी तरफ राजनीति में एक ऐसी व्यवस्था है जो सुनकर हर कोई दंग रह जाए। मिली जानकारी के मुताबिक, अगर कोई एक दिन के लिए भी विधायक बन जाए, तो भी उसे 84,240 रुपये महीना पेंशन पक्की मिल जाती है। जी हां — सिर्फ एक दिन के कार्यकाल पर आजीवन मोटी पेंशन!

 

1. कहां से आया यह मामला?


यह पूरा मामला तब चर्चा में आया जब 1.48 लाख रुपये पेंशन पाने के मुद्दे पर पूर्व विधायक इंद्र दास का नंबर सामने आया। इसी के साथ यह खुलासा भी हुआ कि केवल एक दिन विधायक रहने पर भी 84,240 रुपये तक की पेंशन का हक मिल सकता है।


हालांकि, प्रदेश विधानसभाओं में एक दिन के विधायक आमतौर पर नहीं होते, लेकिन नियम इतना ढीला है कि यदि कोई एक दिन भी विधायक बन जाए, तो उसे पूरी जिंदगी पेंशन का फायदा मिलता रहेगा।



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2. राजनीति में सुरक्षा, जनता में संघर्ष


यह स्थिति दर्शाती है कि नेताओं के लिए बनाई गई सुविधाएं कितनी मजबूत हैं।

सामान्य कर्मचारियों को पीएफ, पेंशन, मेडिकल—हर चीज़ के लिए पूरा जीवन सेवा देनी पड़ती है।

लेकिन राजनीति में मामला उलटा है:

एक दिन काम करो, और जिंदगी भर आराम से पेंशन लो।


रिपोर्ट्स के अनुसार, राज्य में अभी 146 पूर्व विधायक पेंशन ले रहे हैं।

इनमें से कई ऐसे हैं जिन्होंने सिर्फ एक कार्यकाल पूरा किया है, और अब उन्हें हर महीने मोटी पेंशन मिलती रहती है।



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3. कितनी बढ़ रही है पेंशन की बोझ?


सरकार के लिए यह पेंशन एक बड़ी आर्थिक जिम्मेदारी बन चुकी है।

राज्य में पेंशन का आंकड़ा हर साल बढ़ता जा रहा है, और टैक्स देने वाला आम नागरिक यह सोचकर परेशान हो जाता है कि आखिर इतनी भारी-भरकम पेंशन का बोझ क्यों दिया जा रहा है?


वहीं, आम जनता की पेंशन बढ़ाने की मांग वर्षों से लंबित पड़ी रहती है।



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4. पूर्व विधायकों के परिवारों को भी आधी पेंशन


सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि यदि कोई पूर्व विधायक नहीं रहता, तो उसके परिवार को भी आधी पेंशन मिलती रहती है।

मतलब एक बार विधायक बने — तो यह सुविधा पीढ़ियों तक चल सकती है।



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5. क्या यह व्यवस्था सही है? जनता क्या सोचती है?


यह सवाल अब जोर पकड़ रहा है:


👉 क्या केवल एक दिन विधायक बनने पर आजीवन पेंशन मिलना न्यायसंगत है?

👉 जब आम कर्मचारियों को 30–35 साल नौकरी करनी पड़ती है, तो नेताओं को इतना विशेषाधिकार क्यों?

👉 क्या यह व्यवस्था अब बदलनी चाहिए?


सोशल मीडिया पर लोग लगातार इस नीति पर सवाल उठा रहे हैं।

कई लोग कह रहे हैं कि आम जनता के टैक्स के पैसे से चलने वाली यह व्यवस्था बदलनी चाहिए।


 

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निष्कर्ष


यह पूरी घटना राजनीति और पेंशन व्यवस्था पर बड़े सवाल खड़े करती है।

जहां जनता पेंशन बढ़ाने के लिए संघर्ष करती है, वहीं सिर्फ एक दिन विधायक बनने पर मोटी पेंशन मिलना निश्चित रूप से इस व्यवस्था की गंभीर खामियों की ओर इशारा करता है।


अब देखना यह है कि क्या सरकार भविष्य में इस नीति को बदलने की दिशा में कोई कदम उठाती है या नहीं।


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