देश के करोड़ों बुजुर्ग पेंशनर्स के लिए EPS-95 पेंशन आज भी एक गंभीर चिंता का विषय बनी हुई है। बढ़ती महंगाई, दवाइयों का खर्च, और जरूरतों की बढ़ती कीमतों के बीच ₹1,000 की न्यूनतम पेंशन कई परिवारों के लिए अपर्याप्त साबित हो रही है। इसी चिंता को लेकर संसद में फिर से सवाल उठा—क्या सरकार न्यूनतम पेंशन को ₹1,000 से बढ़ाकर ₹7,500 करने जा रही है?
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मगर सरकार का जवाब पेंशनर्स की उम्मीदों से बिल्कुल उल्टा निकला। आइए पूरी रिपोर्ट विस्तार से समझते हैं।
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पेंशन बढ़ाने की मांग सालों से जारी है
EPS-95 स्कीम के तहत लगभग 80 लाख पेंशनर्स वर्षों से यह मांग कर रहे हैं कि:
पेंशन को ₹7,500 या उससे ज्यादा किया जाए
DA (महंगाई भत्ता) शामिल किया जाए
पेंशन को महंगाई के मुताबिक तर्कसंगत बनाया जाए
कई बुजुर्गों ने दिल्ली और राज्यों में धरने दिए, रैलियां निकालीं और सरकार से बार-बार एक ही बात कही—
“₹1,000 में आज के समय में सम्मानजनक जीवन जीना संभव नहीं है।”
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लोकसभा में पूछा गया बड़ा सवाल
लोकसभा में सांसद बलिया मामा-सुरेश गोपीनाथ म्हात्रे ने सरकार से साफ पूछा:
क्या पेंशन ₹1,000 से बढ़कर ₹7,500 की जाएगी?
क्यों EPS पेंशनर्स को DA नहीं दिया जाता?
क्या सरकार ने पेंशनर्स की मांगों पर गौर किया है?
फंड की स्थिति क्या है?
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सरकार का जवाब: अभी पेंशन बढ़ने की कोई योजना नहीं
श्रम एवं रोजगार राज्य मंत्री शोभा करंदलाजे ने संसद में कहा:
> “EPS-95 पेंशन बढ़ाने का कोई प्रस्ताव सरकार के पास नहीं है।”
इसके साथ उन्होंने फंड की स्थिति बताते हुए कहा कि:
31 मार्च 2019 की वैल्यूएशन रिपोर्ट के अनुसार
EPS फंड Actuarial Deficit में पाया गया
यानी फंड में भविष्य की पेंशन देनदारियों को पूरा करने के लिए पर्याप्त पैसा नहीं है
सरकार यह भी स्पष्ट कर चुकी है कि ₹1,000 की न्यूनतम पेंशन भी बजट से अतिरिक्त पैसा देकर जारी रखी जा रही है।
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तो पेंशन ₹7,500 क्यों नहीं बढ़ सकती?
सरकार ने इसके कई कारण बताए:
1. फंड में पैसे की कमी
EPS-95 पूरी तरह फंड आधारित स्कीम है। पेंशन उसी फंड से निकलती है जिसमें:
नियोक्ता 8.33%
केंद्र सरकार 1.16% (₹15,000 वेतन तक)
जमा करती है।
फंड कमजोर होने पर पेंशन बढ़ाना जोखिमभरा है।
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2. EPS-95 वेतन आधारित पेंशन नहीं है
सरकारी कर्मचारियों को DA मिलता है, लेकिन EPS-95 एक कंट्रीब्यूशन बेस्ड स्कीम है, जिसमें DA शामिल करना अनिवार्य प्रावधान में नहीं है।
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3. वित्तीय स्थिरता खतरे में पड़ सकती है
सरकार ने साफ किया कि:
> “हम कर्मचारियों को अधिकतम लाभ देने के लिए प्रतिबद्ध हैं, लेकिन फंड की स्थिरता से समझौता नहीं किया जा सकता।”
यानी जब तक फंड मजबूत नहीं होगा, न्यूनतम पेंशन बढ़ाना संभव नहीं है।
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बार-बार उठता मुद्दा आखिर क्यों?
यह सवाल हर सत्र में उठता है क्योंकि:
EPS-95 पेंशनर्स में बड़ी संख्या ऐसे लोगों की है जिन्होंने कम वेतन वाले काम किए
उनकी सुरक्षा सिर्फ पेंशन पर निर्भर है
आज की महंगाई में ₹1,000 पेंशन जीवनयापन के लिए बेहद कम है
सरकारी कर्मचारियों की तरह उन्हें वेतन संशोधन या DA नहीं मिलता
इसी वजह से पेंशन बढ़ाने की उम्मीदें बार-बार जागती हैं।
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क्या भविष्य में पेंशन बढ़ सकती है?
सरकार ने उम्मीद की खिड़की पूरी तरह बंद नहीं की है।
उन्होंने कहा:
> “कर्मचारियों को अधिकतम लाभ दिलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
लेकिन कोई समयसीमा, कोई प्रस्ताव, या बढ़ोतरी का ठोस कदम अभी सामने नहीं आया है।
भविष्य में पेंशन तभी बढ़ सकती है जब:
सरकार फंड में अतिरिक्त पैसा डाले
नियोक्ताओं का योगदान बढ़ाया जाए
नए रेवेन्यू सोर्स बनें
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निष्कर्ष: पेंशनर्स की उम्मीदें अभी अधूरी
EPS-95 पेंशन बढ़ाने की मांग जायज है, और बुजुर्गों के सम्मानजनक जीवन के लिए जरूरी भी।
लेकिन वर्तमान फंड स्थिति से साफ है कि तुरंत ₹7,500 पेंशन लागू करना फिलहाल संभव नहीं है।
देश भर के 80 लाख पेंशनर्स के लिए यह जवाब निराशाजनक जरूर है,
लेकिन उम्मीद यही है कि आने वाले समय में इस दिशा में कुछ बड़ा कदम उठाया जाए।
